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Thursday, November 18, 2010

कल एक ब्लॉगर की एक पोस्ट पढकर मन में विचारो की ऐसी श्रंखला चल पड़ी,जिसे मैने अगर शब्द नहीं दिए तो दिमाग में उथल पुथल चलती रहेगी।
यह अलग बात है की हर कोई इसे अपने मन मुताबिक शब्दों में ढाल लेता है वैसे देखा जाये तो ये गलत भी नहीं है क्योकि जिसने जैसा ज़िन्दगी में देखा,समझा और अनुभव किया,वो कह सुनाया।
पर ऐसा क्या है इसमें कि सदियों से इस पर लिखा जाता रहा है ....जरुर कुछ तो ऐसा है कि चाहे किसी का नजरिया इसके लिए अच्छा हो या बुरा पर इसके लिए लिखा भी जाता है और पढ़ा भी।
मेरी भी सिर्फ एक छोटी सी कोशिश है इसे लफ्जों में आप सबके सामने लाने की.................वैसे इसे लफ्जों में बांध पाना मुश्किल ही नहीं असंभव है।
''प्यार एक ऐसी भावना है जिसे सिर्फ और सिर्फ महसूस किया जा सकता है। प्यार दो दिलो का ऐसा मेल है जहा दो दिल एक दूसरे में ऐसे खो जाते है कि दुनिया उन्हें ज़न्नत लगने लगती है। जब एक की आँखों में आंसू हो तो दूसरे की आँखे अपने आप भर आये....एक के होठों की हँसी दूसरे के होठों पर भी अपने आप खिल उठे.....एक की तकलीफ दूसरे को भी एक समान महसूस हो.......दोनों एक दूसरे के साथ खुद को पूरा महसूस करे........
ऐसा प्यार सिर्फ चाहने भर से नहीं मिल जाता.....इसके लिए तो पार्टनर के प्रति पूरी तरह से समर्पित,एक दूसरे पर पूरा विश्वास और ईमानदार होना बेहद जरुरी है। अगर ऐसा नहीं है तो प्यार आज नहीं तो कल दिल से अपने आप मिट जाता है रह जाते है तो सिर्फ आंसू और अह्सहनीय तकलीफ......
प्यार न कभी कहने से होता है न ही मांगने से....न ही सच्चा प्यार किसी से कुछ मांगता है न ही कहने से दिया जा सकता है.....सबसे बड़ी बात तो ये है की इसमें किसी के कहने से किसी के लिए कुछ नहीं किया जाता...जो भी सच्चे दिल से प्यार करेगा वो अपने पार्टनर के लिए खुद ही दिल से सब अपने आप करेगा....कहने की जरुरत नहीं पड़ती...दिल के हाल तो आँखों से अपने आप बयाँ हो जायेंगे.....वैसे पार्टनर के लिए जो भी किया जाता है वो एक तरह से खुद ही के लिए किया जाता है,उसमे खुद की ख़ुशी और पार्टनर की ख़ुशी अलग नहीं एक ही होती है......''सच्चे प्यार में वो दो न होकर एक हो जाते है।'' इसमें ईगो प्रॉब्लम और सेलफिशनेस की कोई जगह नहीं होती....ऐसा प्यार वक़्त मांगता है और वक़्त के साथ प्यार की गहराई बढती भी जाती है।प्यार एक बहुत ही पवित्र भावना है जिसे सहेज कर रखा जाता है.........और भी बहुत कुछ........इसके लिए तो जितना कहा जाये कम ही है....
सच्चे प्यार के बिना ज़िन्दगी बंजर है.....मैंने अपनी ज़िन्दगी में तीन कपल ऐसे देखे है जिन्होंने प्यार किया,शादी की और आज तक एक दूसरे के साथ है।
ऐसा प्यार किसी के भी साथ हो सकता है माँ-बाप,भाई-बहन,कोई भी.......प्यार में कोई सीमा नहीं होती न ही कोई बंधन होता है।