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Sunday, February 14, 2010

14 फ़र 2010 ... संगठन प्रदेश उपाध्यक्ष लाखनसिंह नायक, जिलाप्रमुख अंनत मूंदड़ा ने बताया कि वैलेंटाइन डे का विरोध कर भारतीय संस्कृति को सुरक्षित रखा जाएगा। शिवसेना हिंदुस्तान द्वारा रविवार को वैलेंटाइन डे का विरोध किया जाएगा। But my thinking is that प्यार के लिए साल में एक दिन तो बहुत कम है और एक नहीं बल्कि कई वैलेंटाइन डे होने चाहिएं.

आज वैलेंटाइन्स डे के बारे में बातचीत कर रहा था. चड्डी अभियान के बारे में भी बातचीत चल रही थी तभी मैने आप अपना व्यू बताया वो यह है:

प्यार को किसी “डे” की जरूरत नही पड़ती है, उसे दिखाने की भी जरूरत नही पड़ती है.प्यार बहुत गहरी चीज होती है इसका सीधा संबंध परमात्मा से होता है. परमात्मा को प्रेम के जरिये पाया जा सकता है. और इतनी गहरी चीज को केवल कुछ केक, गाने, डांस, गिफ़्ट से नही तौला जा सकता है. आजकल ज्यादातर युवा उसी को प्यार समझ लेते हैं जो फ़िल्मो में दिखाया जाता है. असल में प्यार उन सबसे बहुत ऊपर की चीज है.

प्यार करना और शादी करना २ अलग अलग चीजें हैं. प्यार परमात्मा से मिलने का मार्ग है वहीं शादी एक सामाजिक सिस्टम है जिसके द्वारा परिवार बनाकर वंश आगे चलाया जाता है.

यह संभव है कि आप जिससे प्यार करते हों उसकी बजाय आपकी शादी किसी और से हो जाये. लेकिन वह बहुत खुशनसीब होता है जिसे उसके साथ शादी करने को मिले जिसे वह प्यार करता है.

प्यार के लिये मर्डर जैसी घटनायें हो जाती है. ये बिल्कुल गलत है.प्यार लेने नही देने का नाम है, त्याग का नाम है. आप जिससे प्यार करते हैं वह खुश रहे यही सच्चा प्रेम है.

अगर दोनो में से किसी एक की मौत हो जाती है तो दूसरा आत्महत्या तक कर बैठता है. हलांकि दु:ख में ऐसा हो जाता है पर इसकी बजाय अपने साथी की ईच्छाओं को पूरा करना चाहिये. मसलन अगर आपका साथी बच्चॊं के लिये हास्पिटल बनवाना चाहता था तो उसके मरने के बाद आत्महत्या से अच्छा रहेगा कि आप उसका सपना पूरा करें. यह बेहतर विकल्प है.

"प्यार का मतलब किसी को हासिल करना या फिर उसकी आरज़ू करना नहीं है. प्यार होता कि आप एक दूसरे की इज्ज़त करें, एक दूसरे के सपनों और एक दूसरे की अच्छाइयों और बुराइयों से भी मोहब्बत करें."

Saturday, February 6, 2010