कल एक ब्लॉगर की एक पोस्ट पढकर मन में विचारो की ऐसी श्रंखला चल पड़ी,जिसे मैने अगर शब्द नहीं दिए तो दिमाग में उथल पुथल चलती रहेगी।
यह अलग बात है की हर कोई इसे अपने मन मुताबिक शब्दों में ढाल लेता है वैसे देखा जाये तो ये गलत भी नहीं है क्योकि जिसने जैसा ज़िन्दगी में देखा,समझा और अनुभव किया,वो कह सुनाया।
पर ऐसा क्या है इसमें कि सदियों से इस पर लिखा जाता रहा है ....जरुर कुछ तो ऐसा है कि चाहे किसी का नजरिया इसके लिए अच्छा हो या बुरा पर इसके लिए लिखा भी जाता है और पढ़ा भी।
मेरी भी सिर्फ एक छोटी सी कोशिश है इसे लफ्जों में आप सबके सामने लाने की.................वैसे इसे लफ्जों में बांध पाना मुश्किल ही नहीं असंभव है।
''प्यार एक ऐसी भावना है जिसे सिर्फ और सिर्फ महसूस किया जा सकता है। प्यार दो दिलो का ऐसा मेल है जहा दो दिल एक दूसरे में ऐसे खो जाते है कि दुनिया उन्हें ज़न्नत लगने लगती है। जब एक की आँखों में आंसू हो तो दूसरे की आँखे अपने आप भर आये....एक के होठों की हँसी दूसरे के होठों पर भी अपने आप खिल उठे.....एक की तकलीफ दूसरे को भी एक समान महसूस हो.......दोनों एक दूसरे के साथ खुद को पूरा महसूस करे........
ऐसा प्यार सिर्फ चाहने भर से नहीं मिल जाता.....इसके लिए तो पार्टनर के प्रति पूरी तरह से समर्पित,एक दूसरे पर पूरा विश्वास और ईमानदार होना बेहद जरुरी है। अगर ऐसा नहीं है तो प्यार आज नहीं तो कल दिल से अपने आप मिट जाता है रह जाते है तो सिर्फ आंसू और अह्सहनीय तकलीफ......
प्यार न कभी कहने से होता है न ही मांगने से....न ही सच्चा प्यार किसी से कुछ मांगता है न ही कहने से दिया जा सकता है.....सबसे बड़ी बात तो ये है की इसमें किसी के कहने से किसी के लिए कुछ नहीं किया जाता...जो भी सच्चे दिल से प्यार करेगा वो अपने पार्टनर के लिए खुद ही दिल से सब अपने आप करेगा....कहने की जरुरत नहीं पड़ती...दिल के हाल तो आँखों से अपने आप बयाँ हो जायेंगे.....वैसे पार्टनर के लिए जो भी किया जाता है वो एक तरह से खुद ही के लिए किया जाता है,उसमे खुद की ख़ुशी और पार्टनर की ख़ुशी अलग नहीं एक ही होती है......''सच्चे प्यार में वो दो न होकर एक हो जाते है।'' इसमें ईगो प्रॉब्लम और सेलफिशनेस की कोई जगह नहीं होती....ऐसा प्यार वक़्त मांगता है और वक़्त के साथ प्यार की गहराई बढती भी जाती है।प्यार एक बहुत ही पवित्र भावना है जिसे सहेज कर रखा जाता है.........और भी बहुत कुछ........इसके लिए तो जितना कहा जाये कम ही है....
सच्चे प्यार के बिना ज़िन्दगी बंजर है.....मैंने अपनी ज़िन्दगी में तीन कपल ऐसे देखे है जिन्होंने प्यार किया,शादी की और आज तक एक दूसरे के साथ है।
ऐसा प्यार किसी के भी साथ हो सकता है माँ-बाप,भाई-बहन,कोई भी.......प्यार में कोई सीमा नहीं होती न ही कोई बंधन होता है।
Thursday, November 18, 2010
Sunday, February 14, 2010
14 फ़र 2010 ... संगठन प्रदेश उपाध्यक्ष लाखनसिंह नायक, जिलाप्रमुख अंनत मूंदड़ा ने बताया कि वैलेंटाइन डे का विरोध कर भारतीय संस्कृति को सुरक्षित रखा जाएगा। शिवसेना हिंदुस्तान द्वारा रविवार को वैलेंटाइन डे का विरोध किया जाएगा। But my thinking is that प्यार के लिए साल में एक दिन तो बहुत कम है और एक नहीं बल्कि कई वैलेंटाइन डे होने चाहिएं.
आज वैलेंटाइन्स डे के बारे में बातचीत कर रहा था. चड्डी अभियान के बारे में भी बातचीत चल रही थी तभी मैने आप अपना व्यू बताया वो यह है:
प्यार को किसी “डे” की जरूरत नही पड़ती है, उसे दिखाने की भी जरूरत नही पड़ती है.प्यार बहुत गहरी चीज होती है इसका सीधा संबंध परमात्मा से होता है. परमात्मा को प्रेम के जरिये पाया जा सकता है. और इतनी गहरी चीज को केवल कुछ केक, गाने, डांस, गिफ़्ट से नही तौला जा सकता है. आजकल ज्यादातर युवा उसी को प्यार समझ लेते हैं जो फ़िल्मो में दिखाया जाता है. असल में प्यार उन सबसे बहुत ऊपर की चीज है.
प्यार करना और शादी करना २ अलग अलग चीजें हैं. प्यार परमात्मा से मिलने का मार्ग है वहीं शादी एक सामाजिक सिस्टम है जिसके द्वारा परिवार बनाकर वंश आगे चलाया जाता है.
यह संभव है कि आप जिससे प्यार करते हों उसकी बजाय आपकी शादी किसी और से हो जाये. लेकिन वह बहुत खुशनसीब होता है जिसे उसके साथ शादी करने को मिले जिसे वह प्यार करता है.
प्यार के लिये मर्डर जैसी घटनायें हो जाती है. ये बिल्कुल गलत है.प्यार लेने नही देने का नाम है, त्याग का नाम है. आप जिससे प्यार करते हैं वह खुश रहे यही सच्चा प्रेम है.
अगर दोनो में से किसी एक की मौत हो जाती है तो दूसरा आत्महत्या तक कर बैठता है. हलांकि दु:ख में ऐसा हो जाता है पर इसकी बजाय अपने साथी की ईच्छाओं को पूरा करना चाहिये. मसलन अगर आपका साथी बच्चॊं के लिये हास्पिटल बनवाना चाहता था तो उसके मरने के बाद आत्महत्या से अच्छा रहेगा कि आप उसका सपना पूरा करें. यह बेहतर विकल्प है.
"प्यार का मतलब किसी को हासिल करना या फिर उसकी आरज़ू करना नहीं है. प्यार होता कि आप एक दूसरे की इज्ज़त करें, एक दूसरे के सपनों और एक दूसरे की अच्छाइयों और बुराइयों से भी मोहब्बत करें."
आज वैलेंटाइन्स डे के बारे में बातचीत कर रहा था. चड्डी अभियान के बारे में भी बातचीत चल रही थी तभी मैने आप अपना व्यू बताया वो यह है:
प्यार को किसी “डे” की जरूरत नही पड़ती है, उसे दिखाने की भी जरूरत नही पड़ती है.प्यार बहुत गहरी चीज होती है इसका सीधा संबंध परमात्मा से होता है. परमात्मा को प्रेम के जरिये पाया जा सकता है. और इतनी गहरी चीज को केवल कुछ केक, गाने, डांस, गिफ़्ट से नही तौला जा सकता है. आजकल ज्यादातर युवा उसी को प्यार समझ लेते हैं जो फ़िल्मो में दिखाया जाता है. असल में प्यार उन सबसे बहुत ऊपर की चीज है.
प्यार करना और शादी करना २ अलग अलग चीजें हैं. प्यार परमात्मा से मिलने का मार्ग है वहीं शादी एक सामाजिक सिस्टम है जिसके द्वारा परिवार बनाकर वंश आगे चलाया जाता है.
यह संभव है कि आप जिससे प्यार करते हों उसकी बजाय आपकी शादी किसी और से हो जाये. लेकिन वह बहुत खुशनसीब होता है जिसे उसके साथ शादी करने को मिले जिसे वह प्यार करता है.
प्यार के लिये मर्डर जैसी घटनायें हो जाती है. ये बिल्कुल गलत है.प्यार लेने नही देने का नाम है, त्याग का नाम है. आप जिससे प्यार करते हैं वह खुश रहे यही सच्चा प्रेम है.
अगर दोनो में से किसी एक की मौत हो जाती है तो दूसरा आत्महत्या तक कर बैठता है. हलांकि दु:ख में ऐसा हो जाता है पर इसकी बजाय अपने साथी की ईच्छाओं को पूरा करना चाहिये. मसलन अगर आपका साथी बच्चॊं के लिये हास्पिटल बनवाना चाहता था तो उसके मरने के बाद आत्महत्या से अच्छा रहेगा कि आप उसका सपना पूरा करें. यह बेहतर विकल्प है.
"प्यार का मतलब किसी को हासिल करना या फिर उसकी आरज़ू करना नहीं है. प्यार होता कि आप एक दूसरे की इज्ज़त करें, एक दूसरे के सपनों और एक दूसरे की अच्छाइयों और बुराइयों से भी मोहब्बत करें."
Saturday, February 13, 2010
Monday, February 8, 2010
Saturday, February 6, 2010
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